जेएनयू के बाद अब आईआईएमसी में फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ प्रदर्शन

 


जेएनयू के बाद अब आईआईएमसी में फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ प्रदर्शन


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) नई दिल्ली के छात्र शिक्षण शुल्क, हॉस्टल और मेस चार्ज में बढ़ोत्तरी के खिलाफ संस्थान परिसर में हड़ताल कर रहे हैं। इससे पहले जेएनयू में छात्रावास शुल्क में बढ़ोतरी के विरोध में भारी प्रदर्शन हुआ। 


 

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है। आईआईएमसी की स्थापना साल 1965 में हुई थी और यह देश का सर्वश्रेष्ठ सरकारी मीडिया संस्थान माना जाता है। सरकारी संस्थान "नो प्रॉफिट नो लॉस" आधार पर चलने वाले हैं, जबकि आईआईएमसी में फीस साल दर साल बढ़ाई जा रही है। पिछले तीन सालों में ये फीस तकरीबन 50 फीसदी तक बढ़ा दी गई है। 

अंग्रेजी पत्रकारिता की छात्रा आस्था सव्यसाची का कहना है कि, 10 महीने के कोर्स के लिए 95,000 से अधिक फीस और हॉस्टल व मेस चार्ज अलग से देना पड़ता है। किसी भी मध्यम वर्गीय छात्र के लिए यह फीस दे पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में संस्थान में कई छात्र हैं, जिन्हें पहले सेमेस्टर के बाद पाठ्यक्रम छोड़ना होगा। 

आईआईएमसी में विभिन्न कोर्स के फीस
आईआईएमसी में वर्ष 2019-20 के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए फीस संरचना यह है:



  • रेडियो और टीवी पत्रकारिता: 1,68,500

  • विज्ञापन और पीआर: 1,31,500

  • हिंदी पत्रकारिता: 95,500

  • अंग्रेजी पत्रकारिता: 95,500

  • उर्दू पत्रकारिता: 55,500 


इसके अलावा, लड़कियों के लिए लगभग हॉस्टल और मेस का शुल्क 6500 रुपये और लड़कों से एक कमरे का चार्ज 4800 रुपये का शुल्क हर महीने लिया जाता है। साथ ही छात्रों की शिकायत है कि सभी को छात्रावास नहीं मिल पाता है। 

आईआईएमसी में रेडियो और टीवी पत्रकारिता के छात्र हृषिकेश के अनुसार पिछले एक सप्ताह से छात्र संस्थान के साथ बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों के निवारण की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संस्थान छात्रों को आश्वासन के सिवा कोई जवाब नहीं दे रहा है। 

उन्होंने कहा, "हमने बातचीत के द्वारा इन मुद्दों को हल करने की पूरी कोशिश की, लेकिन प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण हमारे पास विरोध प्रदर्शन ही केवल एकमात्र विकल्प बचा है। 

उन्होंने कहा कि सस्ती शिक्षा देश के प्रत्येक छात्र का अधिकार है और अगर वे अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो उनकी उम्मीदों को ध्यान में रखना होगा। हम मीडिया संस्थानों को केवल उन लोगों के लिए सुलभ होने की अनुमति नहीं दे सकते हैं जो लाखों का भुगतान कर सकते हैं। शिक्षा, एक अधिकार है और विशेषाधिकार नहीं है।

हॉस्टल फीस बढ़ाने के मुद्दे पर जेएनयू में पिछले चार हफ्तों से हड़ताल चल रही है।